Monday, February 4, 2019

उद्यम ही प्रगति की जननी है...

उद्यम ही प्रगति की जननी है... (निबंध)



एक पुरानी कहावत हैं परिश्रम ही सफलता की कुंजी है अर्थात् परिश्रम करने वाला व्यक्ति कभी असफलता का मुँह नहीं देखता ।वह अपने जीवन में एक न एक दिन कामयाबी के सर्वोच्च शिखर पर पहुचता है। हर व्यक्ति की कुछ इच्छाएं आवश्यकता होती है। वह सुख शांति की कामना करता है। दुनिया में नाम कमाने की इच्छा रखता है, किंतु केवल कल्पना करने से ही कार्य सिद्ध नहीं हो जाते ।
अपनी कल्पना को एक मूर्त रूप देकर, उसपर अमल करने से ही वह कल्पना साकार रूप लेती है और व्यक्ति मनचाहे लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। शेर को जंगल का राजा माना जाता है। परंतु यदि वह सोता रहे तो उसके मुख में पशु स्वयं ही प्रवेश नहीं करता उसे भी अपनी भुभुक्षा शांत करने के लिए परिश्रम करना पड़ता है। उसी प्रकार केवल मन की इच्छा से काम सिद्ध नहीं होते उनके लिए परिश्रम करना पड़ता है।कठिन परिश्रम ही भाग्य को जगाता है । किया गया परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता । एक न एक दिन वह अपना रंग अवश्य दिखाता है।

विश्व के जितने भी प्रख्यात व्यक्ति हुए हैं सभी ने अपने अपने क्षेत्र में परिश्रम किया तभी दुनिया में अपना नाम ऊँचा कर सके हैं । मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का नाम दुनिया का बच्चा बच्चा जानता है । उद्योग जगत की बात करें तो जमशेदजी टाटा और धीरूभाई अंबानी के उद्यम का लोहा पूरी दुनिया मानती है। जमशेदजी टाटा को तो भारतीय उद्योग का जनक माना जाता है। फिल्म जगत के मशहूर सितारे शाहरूख खान का नाम दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में गिना जाता है। इन लोगों ने दिन रात परिश्रम करके ही अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है। शाहरुख खान ने टीवी के एक साक्षात्कार के दौरान बताया था कि खाना खाने के लिए दाल में अतिरिक्त पानी डाला जाता था जिससे घर के सभी सदस्यों का पेट भर सके। वे एक निम्न मध्यमवर्गी परिवार में जन्मे थे । यह उनकी दृढ़ इच्छा और परिश्रम ही था जिसने उन्हें ऊँचाइयों के शिखर पर पहुँचाया । निरंतर अभ्यास और मेहनत के बल पर ही स्वर कोकिला कही जाने लता मंगेशकर की मीठी आवाज़ ने पूरे विश्व को अपना कायल कर दिया है। हिंदी के महान कवि और साहित्यकार सोहनलाल द्विवेदी जी ने ठीक ही लिखा है-

"मेहनत उसकी कभी बेकार नहीं होती ।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।"
यदि मनुष्य का निश्चय दृढ़ है और उसने ठान लिया है कि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करके ही छोड़ेगा तो वह कभी असफल नहीं होता ।इसी दृढ़ निश्चय और परिश्रम के बल पर ही आज मनुष्य ने चाँद पर अपना झंडा  गाड़ दिया है परंतु सफलता कभी किसी को आसानी से प्राप्त नहीं होती । सफलता की राह में कई बाधाएँ और मुश्किलें आती हैं और उन बाधाओं से लड़ना भी आसान नहीं होता इसलिए मनुष्य को धैर्य से काम लेना चाहिए । अधीरता मनुष्य को असफलता की ओर खींचती है।अतः जो मनुष्य धैर्यपूर्वक निरंतर परिश्रम करता है । सफलता उसके कदम जरूर चूमती है।

अकर्मण्य व्यक्त ही केवल भाग्य के सहारे सब कुछ प्राप्त करना चाहता है। बहुत ही कम भाग्यशाली व्यक्ति हैं जिन्हें अपने पूर्वजों की संपत्ति प्राप्त होती है परंतु यदि अपने पूर्वजों से प्राप्त की हुई इस संपत्ति का वे सही उपयोग नहीं करते व बिना कुछ किए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं तो उस अर्जित संपत्ति को भी क्षण में गँवा देते हैं। कहते हैं कि कोई भी राष्ट्र तभी विकास कर सकता है जब उस राष्ट्र के नागरिक उद्यमी हों। मानचित्र पर जापान एक छोटा सा देश है परंतु उसका लोहा पूरा विश्व मानता है।

यह कहना गलत न होगा कि परिश्रम का महत्व परिश्रम करने वाले से अधिक कोई नहीं जानता। अतः जो मनुष्य सकारात्मक होकर अपने निर्धारित लक्ष्य को साधने में निरंतर प्रयासरत रहता है सफलता स्वयं उसके कदमों में आकर बिछ जाती है । परिश्रम के सहारे मनुष्य किसी भी प्रकार की कठिनाई को मार्ग से दूर हटा देता है। वहीं एक आलसी और अकर्मण्य मनुष्य कभी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सकता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि परिश्रम ही जीवन की सफलता का रहस्य है। कठिन परिश्रम ही बेहतर जीवन का निर्माण करता है।

सुधा सिंह 

2 comments:

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