जी जी जी जी........
राजे ऐसा सत्ताधारी, राजे ऐसा सत्ताधारी
जी जी जी जी........
धन्य हो गई धरा राष्ट्र की, गूँज उठी थी शिवऩेरी
पशु पक्षी भी लगे नाचने, पुलकित थे सब नर नारी
जन्म लिया जब छत्रपति ने बजने लगी थी रणभेरी
लाल महल में गूंज उठी थी राजे की किलकारी
चहक उठी तब भारत भूमि, छंट गई रात अँधेरी
जीजाऊ ने तब भड़काई स्वराज की चिनगारी
अस्त्र शस्त्र, शास्त्रों की ज्ञाता, थी वीरांगना नारी
ज्ञान देती थी शिवराजे को सबका बारी बारी
अग्नि स्वराज की लगी धधकने, उठा ली जिम्मेदारी
सब के दिल में राज किया, था ऐसा
सत्ताधारी
शिवराया सत्ताधारी, राजे ऐसा सत्ताधारी
जी जी जी जी........
"शिवराया सत्ताधारी, राजे ऐसा सत्ताधारी"
ReplyDeleteआदरणीय शुक्रिया आपका
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-02-2020) को 'गूँगे कंठ की वाणी'(चर्चा अंक-3614) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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रवीन्द्र सिंह यादव
आभारी हूँ आदरणीय
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार आदरणीय 🙏
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ReplyDeleteशिवाजी के जन्मदिवस पर नमन,
आपकी भावनाओ की सराहना l
घर घर हों जीजाबाई तो शिव
एकबार फिर जन्म लेगा,
फिर बाजेगी रणभेरी, आंगन
किलकारी से गूंजेगा l
आइए हम माताएँ शपथ ले l
रेणु सक्सेना
आभार रेनू मैम
Deleteबेहतरीन रचना सुधा जी
ReplyDeleteआभार सखी
Deleteभावपूर्ण और प्रभावी रचना
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीय 🙏
Deleteबेहतरीन सृजन सखी
ReplyDeleteसादर
शुक्रिया सखी
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण सृजन...।
ReplyDeleteशुक्रिया आदरणीया 🙏
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