Wednesday, January 29, 2020

बिल्ली रानी.. बाल गीत





बिल्ली ने इकदिन शीशे में,
देखी जब मतवाली चाल।
फूली नहीं समाई,
सोचा.. मैं तो चलती बड़ा कमाल।।

चाल पे मेरी दुनिया कायल,
अब चाल पे टैक्स लगाऊँगी।
ढेरों पैसे मिलेंगे मुझको ,
 मालामाल  हो जाऊँगी ।।

मेरी कैट वॉक देखने,
चीते - शेर भी आयेंगे।
ऐसा अंदाज़ दिखाऊँगी,
जिसे भूल नहीं वो पाएँगे।।
विश्व में मेरे चर्चे होंगे ,
होगा चारों ओर धमाल ।
बस थोड़ा - सा डायट कर लूँ ,
और पिचका लूँ अपने गाल।।

कुत्ते को रख लूँगी नौकर ,
मूषक ढूँढ वो लाएगा ।
उसने मेरी बात न मानी ,
तो व‍ह जूते खाएगा ।।
मालकिन की बात को टाले,
उसकी ऐसी नहीं मज़ाल ।
नहीं बचेगा मेरे हाथों ,
अगर करेगा टालम-टाल ।।

इन्हीं ख़यालों में डूबी थी ,
पीछे से कोई गुर्राया ।
सपनों में जिसे नौकर रखा ,
अरे रे..वही उसे खाने आया।।
सरपट भागी बिल्ली रानी ,
मन से निकले सभी खयाल ।
जान बच गई वही बहुत है ,
अब न चलूँ मतवाली चाल ।।



सुधा सिंह व्याघ्र












6 comments:

  1. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 30 जनवरी 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. Replies
    1. शुक्रिया अनिता जी 🙏 🙏

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  3. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2020) को "ऐ जिंदगी तेरी हर बात से डर लगता है"(चर्चा अंक - 3597) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है 
    ….
    अनीता लागुरी 'अनु '

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  4. बहुत खूब मज़ा आ गया ।
    सचमुच अभिमानी को औकात तो दिख ही जाती है।

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    1. सराहना हेतु शुक्रिया दी

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