Saraswati puja |
ज्ञान चक्षु खोलकर, विद्या का वर हमें दीजिए!!
अज्ञानी हैं, दोषी हैं हम, निर्दोष हमको कीजिए!
पंथ से भटके हुए हैं , सुलभ पथ को कीजिए!!
श्वेतांबरा, माँ सरस्वती, चित्त है बड़ा व्याकुल मेरा!
आध्यात्म का वरदान दे, उत्कर्ष मेरा कीजिए!!
है तिमिर का आतंक चहुँ दिश, मलिनता आछन्न है!
इस स्याह कलुषित भीषिका का नाश समुचित कीजिए!!
मद, मोह, ईर्ष्या, द्वेष हमपर, हावी कभी न हो, ऐ माँ!
तुम हो दया की मूर्ति उपकार हम पर कीजिए!!
हे ज्ञानदा, माँ शतरूपा , मैं करूँ आवाहन आपका !
सब बंधनों से मुक्तकर, मन को आलोकित कीजिए!!
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