Monday, July 13, 2020

एक गुड़िया माँ मुझे दिला दो


एक गुड़िया मुझे दिला दो माँ:
(स्थायी 17,16 अंतरा 16,16)



एक गुड़िया मुझे दिला दो माँ , 
मैं उसका ब्याह रचाऊँगी ।
लाल नारंगी पीत सुनहरे,  
वसनों से उसे सजाऊँगी ।।

गोरे रंगों वाली गुड़िया,
माँ आँखें नीली-नीली हों ।
सुंदर-सुंदर केशों वाली ,
लगती जो छैल छबीली हो ।।
निश दिन उसके संग खेलूँगी ,
अरु बाहर भी ले जाऊँगी ।

सीखूँगी जो विद्यालय में ,
वह आकर उसे पढाऊँगी।
कभी डॉक्टर ,इंजीनियर अरु ,
वैज्ञानिक कभी बनाऊँगी ।।
तुम जैसे माँ ममता लुटाती,
मैं उससे लाड़ लड़ाऊँगी।

भूख लगेगी जब गुड़िया को,
बर्गर व पिज्जा खिलाऊँगी ।
सखियों-सा चाहूँगी उसको,
रूठी तो उसे मनाऊँगी ।
आएगी निंदिया रानी जब,
लोरी तब उसे सुनाऊँगी।


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