Tuesday, December 31, 2019

मुझको भी आलोकित कर दो (बाल गीत)



मुझको भी आलोकित कर दो।


सूरज दादा ,सूरज दादा
इतने पीत वर्ण कैसे हो!
लगता है कुंदन के बने हो!
कुंदन थोड़ा मुझमें भर दो।
मैं भी जग में चमका करूँगा।
मुझको भी आलोकित कर दो।

सुबह सवेरे जग जाते हो।
भोर की लाली तुम लाते हो।
कुम्हलाई कलियों को खिलाकर
अंबर में तुम मुस्काते हो।
परसेवा हिय में मेरे भर दो।
मुझको भी आलोकित कर दो।

सर्दी, गर्मी, ठंडी, वर्षा
तुमको कोई रोक न पाया ।
हर मौसम ने करवट बदली पर
तुमको सदा अडिग ही पाया।
मुझमें भी यही दृढ़ता भर दो।
मुझको भी आलोकित कर दो।

तुम ही सृष्टि के संचालक।
तुम ही हो हम सबके पालक।
अनुशासन का मंत्र सिखाते।
नहीं किसी से तुम घबराते।
वही अनुशासन मुझमें भर दो।
मुझको भी आलोकित कर दो।

जब भी तुम विश्राम को जाते।
हम केवल अँधियारा पाते।
अँधियारे को दूर भगाकर
प्राण शक्ति सबमें भरते हो।
उसी ऊर्जा से मुझको भर दो।
मुझको भी आलोकित कर दो।











Tuesday, December 17, 2019

क्रोध...


Kavita, krodh, anger management, chandan, vandan
क्रोध



क्रोध कहो, या कह लो गुस्सा
या फिर इसे कहो तुम रोष
नहीं किसी भी और का,
इसमें  है बस अपना दोष

कहो कभी हम गुस्से से
कुछ भी हासिल कर पाए हैं?
जब भी क्रोध ने हमको घेरा
तब - तब हम पछताए हैं!!!

क्यों कर हम खुद पर ही बोलो
नहीं नियंत्रण कर नियंत्रण कर पाते?
क्यों दूजे के हाथों में हम
चाबी गुस्स्स्से की  दे आते!

जीवन में कटुता य़ह लाता
सुंदरता चेहरे की खाता
य़ह मन को अपने बहकाता
अंत में केवल है पछताता।

तो क्रोध को छोड़ो य़ह दुश्मन है
अपनी काया तो चंदन है
क्रोध का सांप न लिपटे जिसको
ऐसी काया को वन्दन है।
ऐसे ही मन को वंदन है।।

रचनाकार - सुधा सिंह 

रचनाएँ जो सबसे ज्यादा सराही गईं