माँ बतलाओ , चंदा मामा
घर पर क्यों नहीं आते हैं !
राजू मामा, चिंटू मामा
सब अपने घर आते हैं !
रक्षा बंधन पर सब तुमसे
राखी भी बँधवाते हैं
खेल -खेलकर संग मेरे
सब मेरा मन बहलाते हैं
रानी बहना से भी वे सब
कितना लाड लड़ाते हैं l
फिर बोलो माँ चंदा मामा
क्यों अपने घर नहीं आते हैं
माँ, इसका कुछ राज़ तो खोलो ...
क्यों हमसे रूठे वे बोलो ....
चौथ पूर्णिमा ,जल तुम देती
तुम उनकी पूजा भी करती
फिर भी वो इतराते हैं ...
बोलो माँ, क्यों चंदा मामा
घर अपने नहीं आते हैं ..
सुन मेरे मुन्ने ,बात बताऊँ...
तुमसे न कोई राज छुपाऊँ...
चंदा मामा व्यस्त बड़े हैं
उनके सिर कई काम पड़े हैं...
मेरे तुम्हारे सब के लिए ही
दूर देश वे जाते हैं
जेब में उजियारे को भरकर
लौट के फिर वे आते हैं
रात में मुन्ने धवल उजाला
हम उनसे ही पाते हैं
दिन में सूरज खूब जलाता
वे इसीलिए छिप जाते हैं
माँ समझा अब बात पते की
तभी तो थक वे जाते हैं
और कभी दिखते हैं दुर्बल
कभी फूल के कुप्पा होते हैं
हम इतवार मनाते जैसे
वे प्रतिपदा मनाते हैं
शनिवार हम छुट्टी करते
अमाँ में वे सोने जाते हैं।
माँ , परहित में चंदा मामा
कितना कुछ सह जाते हैं
ठंडी, गर्मी, बारिश में भी
अपना फर्ज निभाते हैं।
हाँ जाना क्यों चंदा मामा
अपने घर नहीं आते हैं ...
©®सर्वाधिकार सुरक्षित
सुधा सिंह 'व्याघ्र'
चाँद पर बहुत ही सुंदर रचना,सुधा दी।
ReplyDeleteसखी ज्योति बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteसुन्दर बालगीत । बच्चों को चंद्रमा की कलाओं की जानकारी देना वा परोपकार का भाव जगाने के लिए उपयुक्त काव्य पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ,रेनू मैम ।ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Deleteबेहद खूबसूरत रचना सखी 👌👌
ReplyDeleteशुक्रिया अनु जी👏👏
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर बालगीत सुधा जी
लाजवाब।
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
Deleteबहुत सुन्दर। दिन पर दिन आपकी लेखनी जादुई होती जा रही है।बहुत-बहुत शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteआभारी हूँ मैम
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