तिरंगा झंडा |
प्रयाण कर प्रयाण कर, तू मत किसी से आज डर।
माँ भारती का पुत्र तू, माँ भारती पर नाज कर ।।
देश का प्यारा तिरंगा, झुकने कभी पाए नहीं ।
उत्तुंग शिखर हिमगिरि का, पुकारता प्रयाण कर।।
प्रयाण कर, प्रयाण कर.....
जाति - पाँती भेदभाव, रंग - द्वेष भूल कर।
मनुष्यता की राह में, सद्भाव का प्रसार कर।।
संत मुनियों की धरा ये, त्राहि त्राहि कर रही ।
आतंक के आकाओं का, समूल तू विनाश कर।।
प्रयाण कर, प्रयाण कर.....
नापाक इरादों के संग, है शत्रु आगे बढ़ रहा।
चीर कर शत्रु का सीना , देश को निहाल कर।।
ध्वस्त कर शत्रु का दुर्ग, नवराष्ट्र का निर्माण कर।
व्योम पर फहरा तिरंगा, गगन को प्रस्थान कर।।
प्रयाण कर, प्रयाण कर.....
कारवां अतिवात का, गुबार संग ला रहा।
है काल यह निशिथ का , आलोक का प्रसार कर।।
मिसाल वीरता की तू, तू लाल, बाल, पाल है।
तेरी कीर्ति धूमिल न हो, तू कुछ नया विधान कर।।
प्रयाण कर, प्रयाण कर.....
प्राचीन बंध तोड़ दे , और लीक से हटकर तू चल।
पुकारती मंजिल खड़ी, तू राष्ट्र का उत्थान कर।।
हर रोज दिवाली मने, चहुँ ओर बिखरे रोशनी।
दीप जगमगा उठे, रावण का मर्दन मान कर।।
प्रयाण कर, प्रयाण कर.....
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