1:
यही मनोरथ देव है, रखिए हम पर हाथ।
सुखकर्ता सुख दीजिए , तुम्हें नवाऊँ माथ।।
2:
प्रथम पूज्य गणराज जी, पूर्ण कीजिए काज।
सकल मनोरथ सुफल हों, विघ्न न आए आज।।
3:
वक्रतुण्ड हे गजवदन , एकदंत भगवान
आश्रय में निज लीजिए, बालक मैं अनजान।
4:
रिद्धि-सिद्धि दायी तुम्हीं, दो शुभता का दान
ज्ञान विशारद ईश हे , प्रज्ञा दो वरदान।।
5:
हे देवा प्रभु विनायका, गौरी पुत्र गणेश।
प्रथम पूजता जग तुम्हें , दूर करो तुम क्लेश।।
6:
मुख पर दमके है प्रभा, कंठी स्वर्णिम हार।
प्रभु विघ्न को दूर करो, हो भव सागर पार ।।
7:
ज्ञानवान कर दो मुझे , माँगूँ यह वरदान।
शरण तुम्हारे मैं पड़ी, देवा कृपा निधान।।
8:
दुखहर्ता रक्षक तुम्हीं, तुम हो पालन हार।,
पार करो भव मोक्षदा, तुम ही हो भर्तार ।।
9:
मंगलमूर्ति कष्ट हरो, संकट में है जान ।
आयी हूँ प्रभु द्वार मैं , रखिए मेरा मान ।।
10:
हे गणपति गणराज हे, दर्शन की है प्यास
देव मेरी पीर हरो,तुमसे ही है आस।।
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