Saturday, August 29, 2020

गणपति स्तुति (दोहे)



1:

यही मनोरथ देव है, रखिए हम पर हाथ। 

सुखकर्ता सुख दीजिए , तुम्हें नवाऊँ माथ।।

 2:

प्रथम पूज्य गणराज जी,  पूर्ण कीजिए काज।

सकल मनोरथ सुफल हों, विघ्न न आए आज।।

 3:

वक्रतुण्ड हे गजवदन , एकदंत भगवान 

आश्रय में निज लीजिए, बालक मैं अनजान। 

4:

रिद्धि-सिद्धि दायी तुम्हीं, दो शुभता का  दान 

ज्ञान विशारद ईश हे , प्रज्ञा दो वरदान।। 

5:

हे देवा प्रभु विनायका, गौरी पुत्र गणेश।

प्रथम पूजता जग तुम्हें , दूर करो तुम क्लेश।। 

6:

मुख पर दमके है प्रभा, कंठी स्वर्णिम  हार।

प्रभु विघ्न को दूर करो, हो भव सागर पार ।। 

7:

ज्ञानवान कर दो मुझे , माँगूँ यह वरदान।

शरण तुम्हारे मैं पड़ी,  देवा कृपा निधान।। 

8:

दुखहर्ता रक्षक तुम्हीं, तुम हो पालन हार।,

पार करो भव मोक्षदा, तुम ही हो भर्तार ।। 

9:

मंगलमूर्ति कष्ट हरो, संकट में है जान ।

आयी हूँ प्रभु द्वार मैं , रखिए मेरा मान ।।

10:

हे गणपति गणराज हे, दर्शन की है प्यास 

देव मेरी पीर हरो,तुमसे ही है आस।। 

Tuesday, August 25, 2020

हिंदी दिवस... भाषण


Hindi diwas
हिन्दी दिवस 







दोहा :
हिंदी भाषा सुन सदा, गर्वित मन का व्योम। 
निज भाषा यह रस भरी , हर्षित होता लोम ।। 

प्रिय शिक्षक साथियों,

आपके समक्ष प्रस्तुत है हिंदी दिवस भाषण का एक उदाहरण. उम्मीद है आपकी सहायता हो सकेगी.
( आपके किसी काम आ सकूँ तो अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें. आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुमूल्य है)
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प्रातः प्रणाम...


माननीय प्रधानाचार्य, शिक्षक गणों, शिक्षिकाओं और यहां उपस्थित सभी विद्यर्थियों.... मुझे यहां आमंत्रित करने के लिए सर्वप्रथम मैं आप सभी सुधि जनों का हृदयतल से आभार प्रकट करना चाहूंगी. आज का कार्यक्रम देखकर मन प्रफुल्लित हो उठा. सभी बच्चे इतने गुणी और इतने प्रतिभाशाली हैं कि निर्णय लेना मुश्किल हो रहा था कि विजेता किसको घोषित किया जाए..

बच्चों, निर्णायक की कुर्सी पर बैठना गर्व की बात जरुर है पर यकीन मानिए उस पद के साथ इंसाफ़ करना उतना ही मुश्किल...

मैं हिंदी भाषा की कोई बहुत बड़ी ज्ञानी नहीं हूँ कि हिंदी विषय की गहराइयों तक पहुंच पाऊँ. हिन्दी बहुत ऊँची है. शायद इतनी कि हम उसकी ऊंचाई का अंदाजा भी नहीं लगा सकते.

वर्तमान समय में हिंदी का जो स्तर है उसे देखकर बड़ी निराशा होती है. यह स्तर धीरे धीरे नीचे गिरता जा रहा है. उसका लगातार ह्रास हो रहा है.

बच्चों,  हम हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं क्या  आपको नहीं लगता कि  हम सूखते हुए वृक्ष की पत्तियों को सींच रहे हैं.

हम भूल जाते हैं कि कोई भी पेड़ हरा- भरा,  विशाल व छायादार तभी रह सकता है  जब हम उसकी जड़ों को सींचे. उसकी ठीक तरह से देखभाल करें. मुझे डर है कि  जिस तरह देव भाषा संस्कृत मात्र वेदों और पुराणों की पुस्तकों में सिमट गई है. आज केवल गिने चुने लोग ही है जो उसे बोलते और समझते हैं. उसी तरह आज की स्थिति यदि यूँ ही बरकरार रहती है तो कहीं हमारी यह भाषा भी अपना अस्तित्व न खो दे और केवल पुस्तकों में सिमट कर ही न रह जाए.

इसका कारण केवल यही है कि हम अपनी भाषा को बेहद हीन समझते हैं।हम हिन्दी बोलने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं. हिन्दी को कुलियों की और अँग्रेजी को कुलीनों की भाषा समझते हैं.

बच्चों, यह बात किसी से भी छिपी नहीं है कि जापान जैसा छोटा सा देश, जो हमारे देश से पूरे 9  गुना छोटा है  विश्व युद्ध में पूरी तरह से बर्बाद होने के बाद भी किस तरह से उठ खड़ा हुआ. आज तकनीक के मामले में उसकी साख मानी जाती है. उनकी इस तरक्की के पीछे का राज है... उनकी अपनी भाषा में व अपनी संस्कृति में उनका गहन विश्वास. उनकी लगन और उनका कड़ा परिश्रम.


इतिहास गवाह है कि तकनीक हो या ज्ञान, ये कभी किसी भाषा के मोहताज नहीं रहे. और दूसरों का मुँह ताकने वाले कभी सफल भी नहीं हुए.

वे सभी देश जो विकसित देशों की सूची में आते हैं. यदि आप उनके बारे में अध्ययन करें तो पाएंगे कि सभी देश अपनी ही भाषा का प्रयोग करके तरक्की की सीढियां चढ़े. उन्होंने दूसरी भाषा की शरण नहीं ली..

बच्चों विभिन्न भाषाओँ का ज्ञान होना बहुत अच्छी बात है. परन्तु दूसरी भाषा के मोह में अपनी भाषा का तिरस्कार  करना  या अपनी भाषा को बोलने में शर्माना  कहाँ तक सही है? जरा सोचिए...

धन्यवाद...


Sunday, August 23, 2020

एंकरिंग स्क्रिप्ट (हिंदी दिवस)



मेरे प्रिय शिक्षक मित्रों व प्रिय छात्रों ,

हिन्दी दिवस निकट आ रहा है इसलिए यहाँ उदाहरणार्थ हिन्दी दिवस की एंकरिंग स्क्रिप्ट  आप सबकी सहायता के लिए प्रस्तुत है. आवश्यकतानुसार आप इसमें परिवर्तन कर सकते हैं.
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हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी का सहर्ष स्वागत है
आदरणीय निर्णायक गण, सभी शिक्षिकाएँ व यहां उपस्थित सभी विद्यर्थियों को प्रातः प्रणाम!
हमारे प्यारे प्यारे विद्यार्थी
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी हिंदी की विभिन्न विधाओं व विभिन्न रंगों की छटा बिखेरते हुए और प्रथम चरण को पार करते हुए अंतिम चरण तक आ पहुँचे हैं . पिछले वर्षों तक हम अर्थात कक्षा 9 और 10 के विद्यार्थी हास्य कविता का आनंद लेते रहे थे परंतु इस वर्ष अंग्रेजी की परफॉर्मेंस पोयम की तर्ज पर  हमने भी हिंदी में performance poem करने की सोची. और नतीजा आपके सामने है अब इस साल हम इस विधा का भी आनंद उठाएंगे.

सच मानिए इस विधा की प्रस्तुति आसान नहीं होती, क्योंकि एक दूसरे के साथ सामंजस्य बिठाना आसान नहीं होता.
फिर भी हमारे इन विद्यार्थियों ने जी तोड़ मेहनत की है.
और वैसे भी ....... विद्यालय के विद्यार्थी किसी भी मामले  में किसी से कम नहीं है वो तो चाहे तो क्या नहीं कर सकते!!!!

निर्णायक पद की कुर्सी पर शोभायमान है... प्यारी प्यारी..... मैम (महोदया) , और  हिन्दी भाषा विज्ञ हमारी प्यारी मैम (महोदया ) ...
तो एक बार जोरदार तालियों से स्वागत करते हैं हमारे  निर्णायक गणों का..

आइए अब शुरुआत करते हैं अपने कार्यक्रम का..
सबसे पहले आ रहे हैं
1...... और उनका ग्रुप जिनकी कविता का शीर्षक है - ..


बहुत बढिया.. बहुत बढ़िया..

अगली प्रतिभागी हैं --
2:.......
जिनका साथ दे रही है.... . और इनकी कविता का शीर्षक है -..... .



भई वाह... बहुत खूब..
मुझे तो गब्बर की बात याद आ गई.. जो  डर गया.. वो मर गया..

अपनी कविता - शुक्र है शिक्षक हूँ कोई और नहीं ! "प्रस्तुत करने आ रही है ---

3:.......... (छात्रों के नाम)
 तो जोरदार तालियों से स्वागत कीजिए हमारी
इस जोड़ी का..



कमाल.. कमाल.. कमाल...

अब बारी है उनकी..  इतिहास का भूत... जिनका कभी पीछा ही नहीं छोड़ते...
चलिए उनका भी दुखड़ा सुन लेते हैं और बुलाते हैं
4:.......... के ग्रुप(समूह ) को...
तालियाँ........



वाह... वाह.. वाह  मजा आ गया
सचमुच... मुझे भी यकीन हो गया है कि इतिहास  का भूत बहुतों को डराने की ताकत रखता है..

चलिए इतिहास की बात इतिहास में दफन करते हैं और बुलाते हैं अपने अगले प्रतिभागियों को...
  अरे ये क्या... हमारे अगले प्रतिभागी भी हमें इतिहास की  ही सैर कराने आ रहे हैं ...
 ..बच्चों... वीर रस से ओत प्रोत यह कविता हमारे और आपके भीतर देशभक्ति जागृत करने के लिए काफी है ...

तो चलिए सुनते हैं अगली कविता... खूब लड़ी मरदानी.... जिसे प्रस्तुत करने आ रही है...
5:....... (छात्रों के नाम)
स्वागत कीजिए इनका जोरदार तालियों से...





भई वाह.. रानी लक्ष्मी बाई.. जिसकी वीरता और साहस के अंग्रेजों को मुँह की खान पड़ी थी. ऐसी वीरांगना को हमारा शत शत नमन

बच्चों... आगे बढ़ते हैं और बुलाते हैं
अपने अगले प्रतियोगियों को जो कुछ ढूंढ रहे हैं पर उन्हें मिल नहीं रहा है
आपको उनकी मदद की आवश्यकता है
चलिए बुलाते हैं..

6:........... के ग्रुप को और जानते हैं कि आखिर वे ढूँढ क्या रहे हैं???



बहुत खूब... बहुत खूब...

सचमुच शोचनीय बात है कि आखिर ये सब कहाँ नदारद हो गए!!!

खैर.. अब बारी आती है अगले ग्रुप को बुलाने की
जो बड़े दावे के साथ कहते है..
मैं वीर हूँ.. डरपोक नहीं...
जोरदार तालियाँ हो जाए
7:...... और उसके ग्रुप के लिए...


बहुत बहुत बहुत.. अच्छी प्रस्तुति...
और आप लोग बिल्कुल भी डरपोक नहीं...
...
बच्चों... अब हम अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच चुके हैं इसलिए बुलाते हैं अपने अगले ग्रुप को...
...... आ रहे हैं...
अपनी कविता  -...... "" लेकर ...
जोरदार तालियों से स्वागत कीजिए हमारे आखिरी प्रतिद्वंदियों का....
तालियाँ......


बहुत अच्छा प्रदर्शन....

इसी के साथ हमारी यह प्रतियोगिता समाप्त होती है..
अब मैं आपसे रूबरू होने के लिए आमंत्रित करना चाहूंगी..... मैम को..
........ मैम ....

धन्‍यवाद!!!!





रचनाएँ जो सबसे ज्यादा सराही गईं