Thursday, April 9, 2020

'कि की' की कहानी


धुन :आओ सिखाएँ तुम्हें अंडे का फंडा

आओ सुनायें "कि" "की" की कहानी।
छोटी - सी एक बात है, तुमको बतानी।
एक है छोटी (ह्रस्व) "कि"
और दूजी बडी  (दीर्घ ) "की"
सुनने में एक समान, पर फर्क बड़ा जी।
सुनने में एक समान, पर फर्क बड़ा जी।

बड़ी की है जोड़ती, दो शब्दों को। 
छोटी कि है जोड़ती, दो वाक्यों को। 

"राम की माँ का ,नाम है रीमा"
कौन-सी की आई ?जरा मुझको बताना
बोलो .....
कौन-सी की आई ? जरा मुझको बताना

बड़ी "कीऽऽऽ..."
हाँ.....बड़ी कीऽऽऽ...
एक वाक्य का एक अंश, होती है बड़ी की।
एक वाक्य का एक अंश, होती है बड़ी की।

आओ सुनायें "कि" "की"  की कहानी।
छोटी सी एक बात, है मुझे तुमको बतानी।
एक है छोटी कि, और दूजी बड़ी की।
सुनने में एक समान, पर फर्क बड़ा जी।


संवाद जब भी आये, आती है छोटी "कि"
जैसे,राम ने कहा कि मुझे घर जाना है। "
श्याम ने कहा कि उसे खाना खाना है।"

कौनसी "की" आई ?जरा मुझको बताना
बोलो .....
कौनसी 'की 'आई ?जरा मुझको बताना
छोटी "किऽऽऽ..."
हाँ ...."छोटी ऽऽऽ..."
तो जोड़ने का काम करती है छोटी कि
हाँ हाँ.. जोड़ने का काम करती है छोटी कि।

("कि" और" कि" हिंदी के ऐसे शब्द हैं जो बहुधा हमें भ्रमित कर देते हैं। कई बार समझ नहीं आता कि छोटी मात्रा लगेगी या बड़ी मात्रा। इसी के विधान (नियम) को कुछ उदाहरणों के साथ इस छोटी से कविता के माध्यम से यहाँ प्रस्तुत करने का एक छोटा सा प्रयास किया है मैंने।उम्मीद है यह कविता आपके काम आएगी।) 

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