बिल्ली ने इकदिन शीशे में,
देखी जब मतवाली चाल।
फूली नहीं समाई,
सोचा.. मैं तो चलती बड़ा कमाल।।
चाल पे मेरी दुनिया कायल,
अब चाल पे टैक्स लगाऊँगी।
ढेरों पैसे मिलेंगे मुझको ,
मालामाल हो जाऊँगी ।।
मेरी कैट वॉक देखने,
चीते - शेर भी आयेंगे।
ऐसा अंदाज़ दिखाऊँगी,
जिसे भूल नहीं वो पाएँगे।।
विश्व में मेरे चर्चे होंगे ,
होगा चारों ओर धमाल ।
बस थोड़ा - सा डायट कर लूँ ,
और पिचका लूँ अपने गाल।।
कुत्ते को रख लूँगी नौकर ,
मूषक ढूँढ वो लाएगा ।
उसने मेरी बात न मानी ,
तो वह जूते खाएगा ।।
मालकिन की बात को टाले,
उसकी ऐसी नहीं मज़ाल ।
नहीं बचेगा मेरे हाथों ,
अगर करेगा टालम-टाल ।।
इन्हीं ख़यालों में डूबी थी ,
पीछे से कोई गुर्राया ।
सपनों में जिसे नौकर रखा ,
अरे रे..वही उसे खाने आया।।
सरपट भागी बिल्ली रानी ,
मन से निकले सभी खयाल ।
जान बच गई वही बहुत है ,
अब न चलूँ मतवाली चाल ।।
सुधा सिंह व्याघ्र